Mauganj News: मऊगंज से सामने आया सड़क घोटाला, हाई कोर्ट ने कलेक्टर सहित इन्हें जारी किया नोटिस
मऊगंज जिले से एक सड़क घोटाला सामने आया है जहां बिना भूमि के अधिग्रहण किया ही नगर परिषद के द्वारा लोगों के पत्ते की भूमि से सड़क निकली जा रही थी
Mauganj News: भ्रष्टाचारों के लिए मध्य प्रदेश में पॉपुलर मऊगंज नगर परिषद द्वारा बनाई जा रही एक फर्जी सड़क पर अड़ंगा लगाने के लिए खुद उच्च न्यायालय हाई कोर्ट को सामने आना पड़ा, पूरा मामला मऊगंज नगर के वार्ड क्रमांक 4 में जिला प्रशासन के निर्देश पर बनाई जा रही एक सड़क से जुड़ा हुआ है.
दरअसल महाराष्ट्र से झोला लेकर सालों पहले आया एक सोना व्यापारी जिनका कारोबार अचानक से इतना फल फूल गया कि उसके आगे अब रीवा संभाग के बड़े-बड़े सोना व्यापारी भी फीके पड़ गए, सोना व्यापारी के सोने के इस चमकने मऊगंज के नेता सहित अधिकारियों को खूब आकर्षित किया.
दरअसल सोना व्यापारी ने वार्ड क्रमांक 4 में एक जमीन खरीदी जिसमें पोस्ट ऑफिस के बगल से एक सकरी रास्ता थी, इस जमीन में सोना व्यापारी दूसरी जगह से चौड़ी रास्ता निकलना चाह रहा था जिसके लिए उसने सोने की चमक दिखाकर नेता और प्रशासनिक तंत्र को इस कार्य में लगा दिया.
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नालियों से एक मच्छर तक ना भगा पाने वाला मऊगंज नगर परिषद सोना व्यापारी के इस हुकुम पर पूरा बल लेकर मौके पर पहुंच गया और लोगों के कृषि कार्य हेतु उपयोग होने वाली जमीन पर जबरन मिट्टी डालकर रोड बनाने लगा, इसमें कई ऐसे परिवार भी हैं जिनके पास मात्र दो से तीन डिसमिल जमीन ही है और यह फर्जी सड़क निकलने के बाद लोग बेघर हो गए. इस दौरान अवैध कॉलोनी निर्माण की वजह से जल भराव की स्थिति निर्मित हो गई जो किसी को नहीं दिखा जिससे एक दिव्यांग का घर गिर गया जो अब दूसरी जगह अपनी बुद्धि मां के साथ बना लेकर जीवन यापन कर रहा है.
लोगों का कहना है कि प्रशासन ने ना तो इस भूमि का अधिग्रहण किया और ना हमें किसी भी तरह का मुआवजा दिया, और रोड बनाने का नोटिस जारी करते हुए हमसे जगह खाली करने को कहा गया, प्रशासन ने पूंजी पतियों को लाभ पहुंचाने के लिए जबरन हमारे पट्टे की जमीन को छीनने की कोशिश की गई.
जब लोगों ने इस बात की शिकायत मऊगंज जिला प्रशासन से की तो उल्टा मऊगंज कलेक्टर, तहसीलदार एसडीम और खुद मऊगंज विधायक भी मौके पर पहुंच गए और पुलिस प्रशासन की मदद से बिना किसी अधिग्रहण के ही लोगों की निजी जमीन पर रोड बनाने की कार्यवाही शुरू कर दी.
मऊगंज नगर परिषद के इस अवैध निर्माण से परेशान होकर लोगों ने तहसील न्यायालय में सड़क पर रोक लगाये जाने का आवेदन दिया लेकिन तहसीलदार ने इसे खारिज कर दिया, बाद में याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पुष्पेंद्र दुबे और विकास मिश्रा के माध्यम से जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई जिसके बाद माननीय न्यायालय ने इस अवैध निर्माण पर रोक लगा दी और प्रमुख सचिव नगरी प्रशासन, मऊगंज कलेक्टर, सीएमओ नगर परिषद मऊगंज और एसडीएम को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है.
अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर इस फर्जी सड़क से किसका विकास जुड़ा था और ईमानदारी का चोला ओढने वाले लोग आखिर वार्ड वासियों की कब्जे पेट की जमीन पर अवैध सड़क का निर्माण करने पुलिस प्रशासन को लेकर क्यों पहुंच गए.
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